पृथ्वी से बार की दुनिया की खोज में लगे वैज्ञानिकों को किन मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, उसको एक अंतरिक्ष यात्री के सामने पैदा हुई परेशानी से बखूबी समझा जा सकता है। अंतरिक्ष में 197 दिनों तक अनुसंधान कार्यो में लगाने के बाद वापस लौटे वैज्ञानिक को पृथ्वी पर चलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।जानकारी की लिए बता दे ए.जे. समेत 3 लोगों को इंटरनैशनल स्पेस स्टेशन पर भेजा गया था। इन्हें वहां मौजूद ऑर्बिट लैबरेटरी को ऑपरेशनल बनाने के अलावा स्पेसवॉक करने के लिए भेजा गया था। इन 197 दिनों में 3 लोगों के इस क्रू ने स्पेस में काफी शोध किए। वही इस विडियो को शेयर करते हुए ए.जे. ने लिखा, ‘घर लौटने पर स्वागत है सियोज एमएस09, यह अक्टूबर 5 की विडियो है जब मैं फील्ड टेस्ट एक्सपेरिमेंट के लिए स्पेस में 197 दिन बिताकर पृथ्वी पर वापस आया था। मुझे उम्मीद है हाल में वापस आई क्रू की हालत इससे बेहतर होगी।’
अंतरिक्ष में वैज्ञानिक तैरते हुए नजर आते हैं। इसके लिए उन्हें जमीन पर बड़े स्वीमिंग पुल में तैरने की प्रैक्टिस करनी पड़ती है। विशेष तरह से तैयार स्वीमिंग पुल में सात घंटे तैरने पर वैज्ञानिक अंतरिक्ष में एक घंटे तैरने में सक्षम हो पाते हैं। वीडियो गेम के जरिए भी इसके लिए खुद को तैयार करना पड़ता है।
पृथ्वी पर वापस आने बाद फ्यूस्टल ने जब चलना चाहा तो उनके लिए यह आसान नहीं था। फ्यूस्टल ने ट्विटर पर अपना वीडियो जारी करने के साथ ही अपने अनुभव को भी साझा किया। उनके वीडियो को अब तक हजारों लोगों ने देखा और शेयर किया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक फ्यूस्टल और रिकी आरनोल्ड रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग आर्टिमयेव के साथ अंतरिक्ष से इस साल 4 अक्टूबर को कजाकिस्तान में सुरक्षित लौटे थे। इन्होंने आइएसएस पर 197 दिन बिताए थे। इस दौरान इन्होंने कई बार अंतरिक्ष में चलहकदमी भी की थी। कई अनुसंधान कार्य किए थे।
आइएसएस पर जाने वाले वैज्ञानिकों को अक्सर अनुसंधान कार्यो के लिए अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर जाना पड़ता है। काम के हिसाब से अंतरिक्ष यात्रियों को पांच से लेकर आठ घंटे तक स्टेशन से बाहर रहना पड़ता है। अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों को चलते हुए देखकर लगता है कि वहां चलना कितना आसान है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। अंतरिक्ष यात्रियों को अपना काम करने के लिए कई तरह के उपकरणों का उपयोग करना पड़ता है। उन्हें खुद को सुरक्षित रखने के लिए भी तमाम एहतियात बरतनी पड़ती है। अंतरिक्ष में चलने के लिए उन्हें हाथ और पैरों में विशेष तरह के उपकरण लगाने पड़ते हैं।
आइएसएस पर छह महीने से लेकर एक साल तक या उससे ज्यादा सयम बिताकर लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को विभिन्न जांच प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। उन्हें रिहैबिलेशन सेंटर में रखा जाता है। तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। उनके शरीर में आए बदलाव की वैज्ञानिक जांच करते हैं।