आपने कई परंपरा के बारे में सुना होगा जो अजीब होती है और हम सुनते हैं तो यकीन नहीं कर पाते कि ऐसा भी होता है. शादी के बाद पति-पत्नी का साथ उम्र भर के लिए बन जाता है. पति की मृत्यु हो जाने पर तो पत्नी के लिए जिंदगी काटना भी मुश्किल हो जाता है. उत्तर प्रदेश में एक गांव ऐसा भी है जहां हर साल महिलाएं तीन महीने के लिए विधवा हो जाती हैं. ऐसा एक रिवाज है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. हर रोज़ चूड़ी, सिंदूर, मंगलसूत्र और माथे पर बिंदियां सजाकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है.

सुहागन औरतें अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं. इतना ही नहीं वो अपने सिंदूर को बचाने के लिए खुद अपनी जान तक न्यौछावर करने के लिए तैयार रहती हैं. क्या आपने कभी यह सुना या देखा है कि कोई महिला अपने पति के साथ रहती तो है लेकिन सुहागन की तरह नहीं बल्कि उसकी विधवा बनकर. वे विधवाओं की तरह जीवन जीने को हैं लाचार! यह बात भले ही हम सबकी कल्पना के परे हो लेकिन यह हकीकत है.

पहले आपको बता दें, मई से लेकर जुलाई तक का समय यहां रहने वाली महिलाओं के लिए कष्टदायक होता है. इसके पीछे का कारण यहां के मर्दों का पेड़ों से ताड़ी निकालना है. इस बात को जानकर अजीब लगेगा कि इन महिनों में ताड़ के पेड़ से ताड़ी निकालने का काम होता है. यह वृक्ष 50 फिट से भी ज्यादा ऊंचे और स्पाट होते हैं.

इन पर चढ़ने से कई लोगों की गिर कर मौत भी हो जाती है. पतियों के घर से दूर जाने पर महिलाएं इस गांव में इस तरह का माहौल बना लेती हैं. जब उनके पति सही सलामत घर वापिस लौट आते हैं तो सारे गांव में उनका जोरदार स्वागत किया जाता है.

दरअसल, यूपी के दवरिया का भेलवाड़ा जिले जहां पर सुहागिन औरतें हर साल तीन महीनों तक कोई श्रृंगार नहीं करतीं. सादे कपड़े पहनती हैं और बिल्कुल विधवा की तरह जीवन जीती हैं. इन महीनों में हर तरफ अजीब सी मायूसी और मातम का माहौल बना रहता है. कहते हैं इसके पीछे एक परंपरा है जिसे हर महिला को निभाना होता है. आइये आपको बता देते हैं इसका क्या कारण है.