अगर बात किन्नरों की करें तो उनकी जिन्दगी कीसी भी आम आदमी के मुकाबले बहुत कठीन और अलग किस्म की होती है.आपको बता दें कि इन्हें समाज और दुनिया से अलग रखा जाता है और इनका समाज ही अलग होता है. समाज में इन्हें थर्ड जेंडर, तीसरे लिंग और ट्रांस जेंडर, जैसे नामों से जाना जाता है. इनका न सिर्फ अपना एक अलग समाज होता है
बल्कि इनका रहन सहन, परंपराएं, रीति-रिवाज व संस्कार, सब कुछ अलग होता है. इसी बीच हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि किन्नरों की मौत होती है तो किन्नरों का अंतिम संस्कार किस तरह होता है. ये बहुत ही कम लोग जानते हैं. यह बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है.
- किन्नर समुदाय किसी भी किन्नर की मौत हो जाने पर मातम नहीं मनाता. फिर चाहे ये लोग जितने भी दुखी क्यों न हों, ये खुशियां ही मनाते है. सिर्फ इतनी ही नही ये लोग खुद के पैसों से दान कार्य भी करवाते हैं, ताकि फिर से उन्हें इस रुप में पैदा न होना पड़े. इसके पीछे की मान्यता ये है कि उस किन्नर को इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल गया है.
*जब कोई किन्नर मर जाता है तो उसके शव को सभी से छुपा कर रखा जाता है और उसकी शव यात्रा रात में निकाली जाती है. ताकि, कोई भी आम इंसान उसकी शव यात्रा ना देख सकें.
- केवल इतना ही नहीं, जब भी किसी किन्नर की मौत होती है तो समुदाय के बाहर किसी गैर किन्नर को उसका शव नहीं दिखाया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि समुदाय का मानना है कि अगर किसी किन्नर का अंतिम संस्कार कोई आम आदमी देख लें, तो मरने वाले किन्नर का जन्म फिर उसी रूप में होता है.
- किन्नर समुदाय किसी भी किन्नर की मौत हो जाने पर मातम नहीं मनाता. फिर चाहे ये लोग जितने भी दुखी क्यों न हों, ये खुशियां ही मनाते है. सिर्फ इतनी ही नही ये लोग खुद के पैसों से दान कार्य भी करवाते हैं, ताकि फिर से उन्हें इस रुप में पैदा न होना पड़े. इसके पीछे की मान्यता ये है कि उस किन्नर को इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल गया है.