ऐसा दर्दनाक था यीशु मसीह का जीवन

क्रिसमस का त्यौहार पुरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है और अगर बात यीशु मसीह की करें तो हर कोई उनके जीवन से प्रभावित रहता है. एक ऐसे व्यक्तित्व जिसकी छवि हर किसी दिल के अन्दर समाहित है. दरअसल, क्रिसमस का त्यौहार आने वाला है और हम आपको आज भगवान यीशु के जन्म की कहानी बताने जा रहे हैं. ‘बीते हजारों साल पहले नासरत में गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया और कहा कि तू पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, ‍उसका नाम यीशु रखना.

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उस समय ‍मरियम की शादी नहीं हुई थी और वह यूसुफ की मंगेतर थी. यह खबर सुनते ही यूसुफ ने बदनामी के डर से मरियम को छोड़ने का मन बनाया. लेकिन उसके विचारों को जानकर उसी स्वर्गदूत ने यूसुफ से कहा कि मरियम पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती है उसे अपने यहां लाने से मत डर. स्वर्गदूत की बात मानकर यूसुफ मरियम को ब्याह कर अपने घर ले आया.’

‘उस समय नासरत रोमन साम्राज्य का हिस्सा था. ‍मरियम की गर्भावस्था के दौरान ही रोम राज्य की जनगणना का समय आ गया. तब नियमों के चलते यूसुफ भी अपनी पत्नी मरियम को लेकर नाम लिखवाने येरूशलम के बैतलहम नगर को चला गया. सराय में जगह न मिलने के कारण उन्होंने एक गौशाले में शरण ली. बैतलहम में ही मरियम के जनने के दिन पूरे हूए और उसने एक बालक को जन्म दिया और उस बालक को कपड़े में लपेटकर घास से बनी चरनी में लिटा दिया और उसका नाम यीशु रखा. पास के गरेडियों ने यह जानकर कि पास ही उद्धारकर्ता यीशु जन्मा है जाकर उनके दर्शन किए और उन्हें दण्डवत् किया.’

‘यीशु के जन्म की सूचना पाकर पास देश के तीन ज्योतिषी भी येरूशलम पहुंचे. उन्हें एक तारे ने यीशु मसीह का पता बताया था. उन्होंने प्रभु के चरणों में गिर कर उनका यशोगान किया और अपने साथ लाए सोने, मुर व लोबान को यीशु मसीह के चरणों में अर्पित किया.’

यही वजह है कि क्रिसमस पर सभी को चरनी, भेड़, गाय, गरड़‍िए, राजा की झांकियां दिखाई देती हैं. आपको बता दें क्रिसमस पर तारे का भी बहुत महत्व है ऐसा इसलिए क्योंकि इसी तारे ने ही ईश्वर के बेटे यीशु मसीह के धरती पर आगमन की सूचना दी थी.