अरबों की दौलत, लेकिन नहीं मिला मनचाहा प्‍यार, अब चौथी मह‍िला से रचाने जा रहा शादी

कहते हैं पैसे से आप प्‍यार नहीं खरीद सकते. लाटरी किंग के नाम से मशहूर एड्रियन बेफोर्ड (Adrian Bayford) के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. 2012 में उन्‍होंने अपनी पत्‍नी गिलियन बेफोर्ड (Gillian Bayford) के साथ तकरीबन 1500 करोड़ का जैकपॉट जीता था. वे पलभर में इतने अमीर हो गए क‍ि उनके पास सबकुछ आ गया. एकदम बिंदास जिंदगी जीने लगे. लग्‍जरी कारों का काफ‍िला, आलीशान घर और भी बहुत कुछ आ गया. लेकिन 15 महीनों बाद दोनों का र‍िश्ता खत्‍म हो गया. तब से यह शख्‍स मनचाहे प्‍यार की तलाश में है. अब चौथी मह‍िला से शादी रचाने की तैयारी कर रहा है.

मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन के रहने वाले एड्रियन बेफोर्ड को उम्मीद है कि आखिरकार उसे अपनी मंज‍िल मिल जाएगी. सच्‍चे प्यार की तलाश में उसे जो कठ‍िन वक्‍त झेलना पड़ा, उससे मुक्‍त‍ि मिलेगी. एड्रियन 45 वर्षीय ट्रेसी बाइल्स के साथ शादी के बंधन में बंधने के लिए तैयार हैं. उन्‍होंने कहा, मैं कभी-कभी खुद को ठगा हुआ महसूस करता हूं. सोचता हूं कि मेरे पास क्‍या कुछ नहीं है. फ‍िर भी लोग मुझसे प्‍यार क्‍यों नहीं करते. शायद मेरी क‍िस्‍मत ही खराब है. लेकिन शायद दुखस्‍वप्‍न खत्‍म होने वाला है.

मार्टा जारोज को अपना साथी बनाया
गिल‍ियन बेफोर्ड के जाने के बाद एड्रियन ने मार्टा जारोज को अपना साथी बनाया. लेकिन शादी से कुछ महीने पहले ही दोनों में मनमुटाव हुआ और अलग हो गए. इसके बाद सामंथा बरब्रिज के साथ छह महीने तक तूफानी रोमांस चला. पर बाद में बरब्रिज भी उन्‍हें छोड़कर चली गईं. 41 साल के एड्र‍ियन म्‍यूज‍िक कंपोज‍िंंग के व्‍यवसाय में हैं. उनका जीवन काफी सुखमय है. लेकिन ऐसा पहले से नहीं था. वे काफी गरीब हुआ करते थे. यहां तक क‍ि जीवनयापन करने के ल‍िए काफी मुश्क‍िलों से गुजर रहे थे. मगर 2012 में एक रात उन्‍होंने टीवी चालू किया और पाया कि वे लॉटरी किंग बन गए हैं.

पत्‍नी ने प्रे‍मी से शादी रचा ली
एड्रियन की पत्‍नी रहीं गिलियन बेफोर्ड ने लॉटरी जीतने के 15 महीने बाद ही उन्‍हें तलाक देकर अपने प्रे‍मी से शादी रचा ली थी. उन्‍होंने नया घर खरीदा. उनका एक बच्‍चा भी है. ग‍िल‍ियन ने हाल ही में द सन के साथ बातचीत में अपने और पर‍िवार के र‍िश्तों के बारे में बताया था. उन्‍होंने कहा था, जैसे ही लोगों को पता चला क‍ि हम अमीर हो गए हैं, पैसे मांगने वालों की लाइन लग गई. जबक‍ि उस वक्‍त भी मेरे पास पैसे नहीं आए थे. मुझे बहुत बुरा लगा. मुझे लगा क‍ि ये लोग काफी लालची हैं. मैं उसी वक्‍त सबसे रिश्ता खत्‍म कर लिया था.

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पत‍ि का वीड‍ियो बना रही थी पत्‍नी, जब पड़ोस‍न को पता चला तो चप्‍पल लेकर दौड़ी, क्‍या है Viral Video का पूरा सच?

 शख्‍स की गलती स‍िर्फ इतनी थी की उसने अपनी कार पड़ोस‍ियों के घर के सामने एक सार्वजनिक स्थान पर पार्क कर दी थी.

शख्‍स की गलती स‍िर्फ इतनी थी की उसने अपनी कार पड़ोस‍ियों के घर के सामने एक सार्वजनिक स्थान पर पार्क कर दी थी.

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दुनिया की वो जगह, जहां मरने पर लगा है BAN, 2000 किमी दूर जाकर त्यागने पड़ते हैं प्राण!

दुनिया में जितने भी देश हैं, उनके अलग-अलग कानून हैं, जो उस देश की सभ्यता, संस्कृति, वहां के लोगों के तौर-तरीकों को देखकर बनाए गए हैं. कई कानून बेहद विचित्र हैं और जब इनके बारे में लोगों को पता चलता है तो वो हैरान हो जाते हैं. ऐसा ही एक कानून (Ban on Death) एक शहर का है, जहां पर सरकार ने लोगों के मरने पर बैन लगा दिया है. अगर किसी को प्राण त्यागने होते हैं, या फिर लोगों को अपने प्रियजनों को दफनाना होता है, तो उन्हें उस शहर से करीब 2000 किमी दूर जाना पड़ता है. आखिर ये जगह कहां है…चलिए आपको बताते हैं.

नार्वे का लॉन्ग इयरबेन (Longyearbyen, Norway) शहर आर्किट सर्किल में बसा हुआ है. ये जगह बेहद ठंडी रहती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां का न्यूनतम तापमान -46 डिग्री तक चला जाता है और अधिकतम 3-7 डिग्री तक होता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि यहां का टेंप्रेचर कितना भीषण होता है. पर इसी तापमान की वजह से ये अजीबोगरीब नियम बनाया गया है.

death ban

नॉर्वे का ये शहर हमेशा बर्फ की चादर से ढका रहता है. (फोटो: Canva)

1950 में बना था कानून
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नॉर्वे की सरकार ने साल 1950 में ये अजीबोगरीब कानून बनाया था, जिसके तहत इस क्षेत्र में कोई भी मर नहीं सकता था, ना ही मरे हुए लोगों को दफन किया जा सकता था. ऐसा करने के लिए नर्वे के मेनलैंड, जो 2000 किमी दूर है, ले जाना पड़ता था. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्यों नियम क्यों बनाया गया था?

इस वजह से बनाया गया ऐसा नियम
दरअसल, ज्यादा ठंड की वजह से ये इलाका हमेशा हमेशा बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है. इस वजह से यहां पर जब लाश को दफनाया जाता है, तो लाश सड़ती नहीं है, चमड़ी भी सालों साल अपने ओरिजनल फॉर्म में कायम रहती है. ऐसा रिपोर्ट्स में पाया गया कि सदियों पुराने वायरस और बैक्टीरिया उस इलाके में सुरक्षित मिले. ऐसे में इन वायरस की वजह से वहां के लोगों के लिए खतरा बढ़ सकता है. बस यही कारण है कि सरकार ने ये नियम बनाया था और लोगों की लाशों को दूर जाकर दफनाने के लिए बोला था.

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ऑनलाइन करना था 12 हजार रुपये का दान, शख्स ने गलती से दबा दिए गलत नंबर, फिर हुआ कुछ ऐसा, बदल गई किस्मत!

दान करना पुण्य का काम होता है. अक्सर जरूरतमंदों को दान देने से उनकी तो सहायता हो ही जाती है, जो दान करता है, उसको भी खुद के लिए बेहतर महसूस होता है. इस तरह वो समाज में अपना योगदान देता है. पर इंसान अपनी हैसियत के हिसाब से दान देता है. हालांकि, कई बार दान देने में ऐसी गलती हो जाती है, कि लोगों को अफसोस हो जाता है कि उन्होंने आखिर दान दिया ही क्यों! ऐसा ही एक अमेरिकी शख्स के साथ भी हुआ, जिसने गलती से इतने रुपये दान (Man made wrong donation) कर दिए, कि जब उसे एहसास हुआ, तब तक पैसे कट चुके थे.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर एक ग्रुप है r/tifu. इस ग्रुप पर कुछ महीनों पहले, एक शख्स ने अपने अजीबोगीरब अनुभव के बारे में बताया, जिसे जानकर आपको भी सतर्क होने की जरूरत है. शख्स ने कहा कि वो और उसकी बीवी दोनों ही 31 साल के हैं और सैन फ्रांसिस्को (San Francisco, USA) के एक नए अपार्टमेंट में वो शिफ्ट हुए थे. उनके घर के बगल में ही एक 70 साल का रिटायर्ड फौजी रहा करता था, जो सनातम धर्म में मानता था और बांग्लादेश में दान दिया करता था. शख्स को लगा कि वो भी दान देगा.

TIFU by donating $15,041 to a poor community in Bangladesh instead of the $150 donation I intended.
byu/lazybear90 intifu



दान करने का बनाया मन
उसने उस फौजी से गोफंड मी वेबसाइट का लिंक मांगा, जिसके जरिए वो क्राउड फंडिंग कर बांग्लादेश में पैसे डोनेट किया करता था. अगले दिन जब शख्स ऑफिस गया, उसने 150 डॉलर (12 हजार रुपये) का डोनेशन किया और फिर अपने काम में लग गया. अचानक उसके पास क्रेडिट कार्ड वालों की ओर से एक मैसेज आया कि उसके खाते से 15,041 डॉलर (12 लाख रुपये) का दान दिया गया है. ये पढ़ते ही शख्स के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसे हैरानी हो रही थी कि ऐसा कैसे हो गया. उसने दोबारा वेबसाइट खोली और अपने एक्शन को दोहराने लगा.

man made wrong donation

शख्स को डोनेशन से बांग्लादेश में लोगों को खाना-पीना मुहैया करवाया गया, और लोगों को धन्यवाद का पोस्टर पकड़ाकर उनकी तस्वीर भी खींची गई. (फोटो: imgur)

शख्स से हुई बड़ी गलती
तब जाकर उसे समझ आया कि उसके क्रिडेट कार्ड का पिन 41 से शुरू होता है. जब कंप्यूटर का करसर रुपये वाले बॉक्स में होगा, तभी उसने कार्ड का पिन डालना शुरू कर दिया होगा. इस तरह गलती से कार्ड के डिब्बे की जगह, रुपये वाले डिब्बे में 15041 टाइप हो गया. उसने फौरन गो फंड मी साइट के कस्टमर सपोर्ट को फोन किया और मदद मांगी. उन्होंने कहा कि ऐसी गलती अक्सर लोगों से हो जाती है, और वो उसके बचे हुए पैसों को 7 से 10 दिनों में लौटा देंगे. उसने पूछा कि क्या ऐसा होगा कि जब तक उसके रुपये लौटेंगे नहीं, तब तक वो डोनेशन लिस्ट में उसके नाम के साथ दिखाई देंगे. तो उस आदमी ने कहा कि ऐसा ही होगा. ये सुनकर शख्स को शर्म आने लगी, क्योंकि वो इतने रुपये लेकर सिर्फ 150 रुपये दान करेगा. उसने तय किया कि वो अगले दिन, फौजी को भी जाकर इस घटना के बारे में बता देंगे.

माइकल ने किया 1500 डॉलर दान
जब वो अगली सुबह सोकर उठा, तो उसने फेसबुक पर देखा कि उसे दर्जनों नोटिफिकेशन आए हुए हैं. किसी आदमी ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और उसके पोस्ट को भी लाइक किया. उस आदमी ने उसे मैसेज पर कई तस्वीरें भेजीं, जिसमें गरीब लोग हाथों में पोस्टर लिए उस व्यक्ति को धन्यवाद करते दिख रहे थे. पोस्टर पर उसका नाम लिखा था माइकल. अलग-अलग तरह के गरीब बांग्लादेशी, माइकल को उसके डोनेशन के लिए धन्यवाद कर रहे थे. ये देखकर उसका दिल भर आया. तो उसने तय किया कि वो 150 की जगह 1500 डॉलर डोनेट करेगा. फंड के मैनेजर ने कहा कि इतने रुपये भी वहां के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए काफी मददगार साबित होंगे. इस तरह माइकल की किस्मत बदल गई और उसने एक नेक काम भी कर डाला.

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‘सैल्यूट है मोदी को’, पाकिस्तानी लड़की हुई फैन, अंडरवॉटर मेट्रो देख ली, तो खड़े-खड़े बेहोश हुए लड़के!

आपने अब तक ऐसे ही वीडियो देखे होंगे, जिसमें पाकिस्तान के लोग भारत या यहां के नेतृत्व के बारे में उल्टा-सीधा बोलते रहते हैं. हालांकि अब परिस्थितियां बदलती जा रही हैं. जब पाकिस्तानी जनता को भारत का विकास और यहां के लोगों की ज़िंदगी दिखती तो वे उल्टा अपने ही देश के नेताओं पर बरस रहे हैं.

भारत और पाकिस्तान साथ-साथ ही आज़ाद हुए लेकिन अब पाकिस्तानी अवाम जब भारत की ओर देखती है, तो उसका जो रिएक्शन आता है, वो देखकर आप भी दंग रह जाएंगे. इसी से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है. जब उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोलकाता अंडरवॉटर मेट्रो स्टेशन के उद्घाटन का वीडियो दिखाया गया, तो उनका रिएक्शन ऐसा था कि देखकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे.

‘ऐसा नहीं हो सकता, हमें रहना ही नहीं इस जगह
पाकिस्तान की मशहूर यूट्यूबर सना अमजद इस वीडियो में कुछ पाकिस्तानियों को कोलकाता अंडरवाटर मेट्रो स्टेशन का वीडियो दिखा रही हैं. उन्होंने पाकिस्तानी अवाम से पूछा – ये कौन सी जगह है? पहले वहां मौजूद लड़कों ने कहा कि ये कहीं जापान या अमेरिका का वीडियो है. हालांकि जब उन्हें बताया गया कि ये भारत में है तो उनका रिएक्शन बिल्कुल सदमे में जाने जैसा था. आप उन्हें देखकर अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे. एक ने कहा कि ये हो ही नहीं सकता तो दूसरे ने कहा कि अब उसे यहां रहना ही नहीं.

‘सैल्यूट है मोदी को, काम करता है बंदा’
इतना ही नहीं सना जब एक लड़की से इस बारे में बात करती है तो वो पीएम मोदी की तारीफों के पुल बांधने लगती है. उसने साफ कहा – ‘सैल्यूट है इस बंदे को, मोदी हर उस जगह पर काम कर रहे हैं, जहां किया जा सकता है’ आपने किसी पाकिस्तानी के मुंह से पीएम मोदी की ऐसी तारीफ शायद ही सुनी हो. वहीं पाकिस्तानियों ने अपने नेताओं की बुराई भी कर डाली.

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क्या यकीन करेंगे आप? एक दौर था जब पृथ्वी पर होती रही थी 20 लाख साल तक बारिश, फिर इसके बाद जो हुआ…

पृथ्वी रहस्यों से भरपूर ग्रह है. पर उसका इतिहास भी कम रोचक नहीं है. वैज्ञानिक जितना अधिक शोध करते हैं, उन्हें उतनी ज्यादा चौंकाने वाली जानकारी मिलती रहती है. वैज्ञानिकों के लिए पृथ्वी के इतिहास का एक पूरा का पूरा दौर ही कम रहस्यमयी नहीं है. माना जाता है कि इस दौर में लाखों सालों तक बारिश होती रही थी.

इसी बात ने वैज्ञानिकों को लंबे समय से हैरत में डाल रखा है. इस दौर में जीवन भी खूब फला फूला था, लेकिन यह सब कैसे और क्यों हुआ वे अब तक यह नहीं जान सके थे. लेकिन अब उन्हें लगता है कि उन्होंने इस गुत्थी को सुलझा लिया है.

पैंजिया महाद्वीप के इस दौर का समय 20 से 30 करोड़ साल पहले खा था. तब पृथ्वी पर एक ही विशाल महाद्वीप हुआ करता था. वैज्ञानिकों का कहना है कि आज के सभी महाद्वीप उस दौर में जुड़े हुए थे. वैज्ञानिकों का मानाना है कि उसी दौरान ही धरती पर 10 से 20 लाख साल तक बारिश होती रही थी.

इस दौर की जानकारी मिलने की शुरुआत 1970 और 1980 के दशक में हुई थी, जब भूवैज्ञानिकों ने 23.2 से 23.4 करोड़ साल पहले की जमा पुरानी चट्टानों का अध्ययन किया. एक टीम ने आल्प्स की पुरानी परतों का तो एक टीम ने ब्रिटेन में जमा पुरानी चट्टानों की परतों का अध्ययन किया और एक ही तरह के नतीजे हासिल किए. पृथ्वी पर बहुत ही लंबे समय तक सूखा पड़ा था और उसके बाद बारिश हुई थी.

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उस दौर में ज्वालामुखी बहुत अधिक फूटा करते थे जिससे तापमान अधिक रहता था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)

डायनासोर के युग के शुरू का दौर काफी नमी वाला था जिसमें कार्नियन प्लूवियल की घटना या कार्नियन प्लूविय संस्करण हुआ था. इसी समय पर बहुत सारे ज्वालामुखी उत्सर्जन की वजह से बहुत लंबे समय तक बारिश होती रही. हवा में नमी के साथ तापमान में भी इजाफा हुआ जिससे लाखों सालों तक बारिश होती रही.

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जर्नल ऑफ द जियोलॉजिकल सोसाइटी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक यह दौर डायानसोर के लिए बहुत फायदेमंद रहा. इससे उनकी विविधता बढ़ी. इस दौर में कई पौधे और जानवर तो मरे लेकिन उससे डायनासोर को खास फायदा हुआ.पृथ्वी के इतिहास के इस दौर में तेजी से घटनाएं घटी और डायनासोर के अलावा कछुए, मगरमच्छ, छिपकलियों और स्तनपायी जानवर भी खूब पनपे थे.

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किसान या शिकायतीलाल? 9 साल में कीं 200 से ज्यादा शिकायतें, अब अफसरों ने इस श्रेणी में डाल दिया नाम

मोहन ढाकले/बुरहानपुर. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के लोनी में रहने वाले 79 वर्षीय किसान 2015 से अब तक 200 से अधिक शिकायत दर्ज करा चुके हैं. इनकी शिकायत है कि मेरे खेत में लगी हुई गन्ने और मक्के की फसल को जंगली सूअर नुकसान पहुंचा रहे हैं. इनकी शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने संज्ञान तो लिया, लेकिन मुआवजा कम दिया. नाराज किसान ने दोबारा से शिकायत की तो उन्हें 2019 में आदतन शिकायतकर्ता घोषित कर दिया.

अब किसान ने 6 माह बाद छोटा बोरगांव और गारबल्डी क्षेत्र में 40 एकड़ में लगी मक्के की फसल को सूअरों ने नुकसान पहुंचाया तो किसान डिप्टी कलेक्टर के सामने खड़ा हो गया और लिखित में समस्या बताई.

किसान ने दी जानकारी
किसान जगन्नाथ पाटिल ने लोकल 18 की टीम को जानकारी देते हुए बताया कि मैं लोनी क्षेत्र का रहने वाला हूं. मेरी खेती छोटा बोरगांव और गारबल्डी क्षेत्र में 40 एकड़ है. मैंने अभी फिलहाल में मक्के की फसल लगाई है. 2015 से सूअर मेरी गन्ना और मक्के की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मैंने 200 से अधिक शिकायत की हैं. प्रशासन ने मेरी शिकायत पर कार्रवाई किए बिना मुझे शिकायतकर्ता घोषित कर दिया. मैंने शिकायतें करने में करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च किए हैं और करीब 70 किलो रद्दी मेरे घर में जमा हो गई है. लेकिन मेरी समस्या का निराकरण नहीं हुआ है. जिससे मेरा 9 साल में क़रीब ढाई करोड़ रुपए की फसल को नुकसान हुआ है. नुकसान अधिक होने पर प्रशासन केवल 25 से 30% नुकसान बताता है.

डिप्टी कलेक्टर ने यह दी जानकारी
जब डिप्टी कलेक्टर वीर सिंह चौहान से बात की तो उन्होंने बताया कि एक किसान ने आवेदन दिया है. तहसीलदार को मार्क किया है. देखते हैं नियमित शिकायतकर्ता होगा तो कार्रवाई करेंगे और सही शिकायत होगी तो नियम अनुसार उसे मुआवजा दिया जाएगा.

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तो क्या गलत है स्कूल में पढ़ा ये नियम? रिसर्च में मिले अनोखे नतीजों ने कहा, हमेशा नहीं होता है ऐसा

कहते हैं विज्ञान के नियम और सिद्धांत हमेशा एक से रहते हैं और पत्थर की लकीर होते हैं. पर हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के  एक अध्ययन ने ऐसे नियम को झुठलाने का काम किया है जिसके मुताबिक स्कूल में पढ़ाए जाने वाले भौतिकी के सरल से नियम को चुनौती दे डाली है. कूलम्ब लॉ विद्युत के मूल नियमों की व्याख्या करता है. जो बच्चे 10वीं कक्षा से पहले पढ़ लेते हैं. पर इस अध्ययन का कहना है कि कूलम्ब नियम का यह कहना कि समान आवेश एक दूसरे दूर भागते हैं, हमेशा सही नहीं होता है.इस अनोखे अपवाद को देख कर वैज्ञानिक काफी हैरान हैं.

कूलम्ब का नियम कहता है कि विपरीत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं और समान आवेश एकदूसरे को विकर्षित यानी एक दूसरे से दूर जाने की कोशिश करते हैं. इसी नियम के आधार पर पूरी विद्युतकी टिकी हुई है और हम अपने घरे में इसके आधार पर बनाए बिजली के उपकरणों का उपयोग करते हैं.

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि है कि एक से आवेश वाले कण किसी घोल में एक दूसरे को आकर्षित भी कर सकते हैं, जबकि कूलम्ब नियम के तहत उन्हें एक दूसरे को दूर धकेलना चाहिए. इस खोज का ना केवल विद्युत चुंबकीय सिद्धांत पर असर होगा, बल्कि बहुत सारे वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रक्रियाओं पर भी असर होगा.

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यह खोज कई तरह के वैज्ञानिक और औद्योगिक बदलाव ला देगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

नेचर नैनो टेक्नोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में ऑक्सफोर्ड के रसायन शास्त्र विभाग की टीम ने शोध में पाया है कि घोल में आवेशित कणों के बर्ताव बहुत ही अलग हो सकता है जो कि आवेश और घोलक के स्वभाव पर निर्भर करता है. उन्होंने पायि के नकारात्मक आवेश वाले कण खासी दूरी पर पानी में एक दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं.

इसके लिए नकारात्मक आवेश के कण आपस में छोटे से षटकोण के आकार का समूह भी बना लेते हैं. मजेदार बात यह है कि ऐसा इन्हीं हालात में सकारात्मक आवेश के कणों के साथ देखने को नहीं मिला है. वहीं जब घोल को पानी की जगह एल्कोहल से बदला या तो सकारात्मक आवेशित कणों से ऐसे समूह बनाए लेकिन नकारात्मक कणों ने नहीं.

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यह अप्रत्याशित बर्ताव वर्तमान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिद्धांत के नियम का विरोधाभास दिखा रहा है. टीम ने अपने अध्ययन में ब्राइट माइक्रोस्कोपी का अध्ययन किया. और बारीकी से सिलिका के सूक्ष्म कणों का अवलोकन पहले पानी में और फिर एल्कोहल घोलों में किया.

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वो कौन सा देश है, जो है दुनिया में सबसे बड़ा? क्या आप जानते हैं सही उत्तर? बहुत लोगों को नहीं होगी जानकारी|do you know biggest country in the world news russia canada – News18 हिंदी

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रूस यूरोपीय महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो एशिया से सटा है. इसका क्षेत्रफल लगभग 17.098 मिलियन वर्ग किलोमीटर है, जो पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल का 11% है. अपार प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ ये देश दुनिया की महाशक्ति भी है, जिससे उलझने की हिम्मत बहुत कम देशों में है. अगर रूस तेल और गैस देना बंद कर दे, तो दुनिया के कई देशों में अंधेरा हो जाएगा. खाना बनाना मुश्किल हो सकता है. रूस यूरोप की अधिकांश गैस जरूरतों की आपूर्ति करता है.

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पहले बनी बॉयफ्रेंड की सौतेली मां, जैसे ही BF करने चला शादी, मचाने लगी बवंडर

एक अनोखे और अजीब मामले में एक महिला पहले अपने एक्स बॉयफ्रेंड की सौतेली मां बनी और उसके बाद जब उस एक्स की सगाई हो रही थी तब उसने पार्टी में हंगामा मचाने की कोशिश की. सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट मे लड़के की बहन ने पूरा किस्सा बयां किया कि कैसे उसने सौतेली मां की कोशिशों पर पानी फेरा.

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