मर्दों की इस बड़ी समस्या को दूर करेंगे बैल, स्टडी में मिले चौंकाने वाले नतीजे, पिता बनना होगा आसान!

बढ़ती हुई और गंभीर समस्याओं में पुरुषों में नपुंसकता की समस्या भी एक है. इसके हल निकालने के लिए वैज्ञानिक कई तरह के गहन शोध कर रहे हैं. पर ईटीएच ज्यूरिख के प्रोफेसर ह्यूबर्ट पॉच ने इस दिशा में एक अनोखी रिसर्च की और उनका विषय था सांड. यह शोध ना केवल पुरुषों की फर्टिलिटी पर रोशनी डालती है, बल्कि मानव उर्वरता शोध और मवेशी पालन में भी मददगार हो सकती है

दुनिया में हर आठ में से एक कपल नुपसंकता का समस्या का सामना कर रहा है. इन मामलों में से आधे पुरुषों की नपुंसकता के होते हैं. इसके पीछे के अनुवांशिकीय कारण को पता लगा बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि अभी तक ऐसा तरीका या टेस्ट नहीं पता चल सका है जिससे नपुंसक और सेहतमंद पुरुषों में अंतर पता चल सके.

यही कारण था कि शोधकर्ता युवा सांड का अध्ययन कर जीन और मानव उर्वरता को नियंत्रित करने के तरीकों के संबंध में ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहते थे. शोधकर्ताओं ने 118 ताजा मारे गए सांडों के टेस्टिकल, एपिडिडीमिस और वास डिफरेंस से लिए गए ऊतकों के नमूनों का अध्ययन किया. खास बात यह थी कि उन्होंने अध्ययन के लिए किसी भी जानवर को नहीं मारा था.

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वैज्ञानिकों ने सांड की ऊर्वरता का जीन के स्तर पर अध्ययन किया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

अपने विश्लेषण के आधार पर शोधकर्ताओं ने ऊतकों के मैसेंजर आरएनए अणुओं की विशेषताओं का पता लगाया जिससे वे प्रजनन अंगों की सक्रिय जीन और साथ ही उनकी उर्वरता पर होने वाले असर का पता लगा सकें

इस अध्ययन में बहुत सारे ऐसे जीन और उनके वेरिएंट का पता लगया जो सांड की ऊर्वरता से संबंधित थे. इतना ही नहीं इनमें से बहुत से इंसानों में पुरुष प्रजनन क्षमता से भी संबंधित थे. अध्ययन की प्रमुख लेखिका जीना मेपल के मुताबिक स्तनपायी जानवरों में प्रजजन जीन का मूल रूप से एक से कार्य होते हैं. इनका सांड में खराब ऊर्वरता से नजदीकी नाता है.

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जहां इंसानों के मामले में आकंड़ों की खासी कमी है, वहीं मवेशियों के जेनेटिक मेकअप की पूरी जानकारी है. अभी यह कहा नहीं  जा सकता है कि इन पड़तालों का किस तरह से मानव उर्वरता के लिए उपयोग किया जा सकता है. नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित इस अध्ययन ने अनुवांशिकता के मानवीय उर्वरता पर पड़ने वाले भविष्य के शोधों के लिए एक मजबूत नींव रखने का काम जरूर किया है. लेकिन इस अध्ययन का पशुपालन और डेयरी उद्योगों पर गहरा असर होगा.

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2 comments

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