कहते हैं विज्ञान के नियम और सिद्धांत हमेशा एक से रहते हैं और पत्थर की लकीर होते हैं. पर हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन ने ऐसे नियम को झुठलाने का काम किया है जिसके मुताबिक स्कूल में पढ़ाए जाने वाले भौतिकी के सरल से नियम को चुनौती दे डाली है. कूलम्ब लॉ विद्युत के मूल नियमों की व्याख्या करता है. जो बच्चे 10वीं कक्षा से पहले पढ़ लेते हैं. पर इस अध्ययन का कहना है कि कूलम्ब नियम का यह कहना कि समान आवेश एक दूसरे दूर भागते हैं, हमेशा सही नहीं होता है.इस अनोखे अपवाद को देख कर वैज्ञानिक काफी हैरान हैं.
कूलम्ब का नियम कहता है कि विपरीत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं और समान आवेश एकदूसरे को विकर्षित यानी एक दूसरे से दूर जाने की कोशिश करते हैं. इसी नियम के आधार पर पूरी विद्युतकी टिकी हुई है और हम अपने घरे में इसके आधार पर बनाए बिजली के उपकरणों का उपयोग करते हैं.
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि है कि एक से आवेश वाले कण किसी घोल में एक दूसरे को आकर्षित भी कर सकते हैं, जबकि कूलम्ब नियम के तहत उन्हें एक दूसरे को दूर धकेलना चाहिए. इस खोज का ना केवल विद्युत चुंबकीय सिद्धांत पर असर होगा, बल्कि बहुत सारे वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रक्रियाओं पर भी असर होगा.
यह खोज कई तरह के वैज्ञानिक और औद्योगिक बदलाव ला देगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
नेचर नैनो टेक्नोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में ऑक्सफोर्ड के रसायन शास्त्र विभाग की टीम ने शोध में पाया है कि घोल में आवेशित कणों के बर्ताव बहुत ही अलग हो सकता है जो कि आवेश और घोलक के स्वभाव पर निर्भर करता है. उन्होंने पायि के नकारात्मक आवेश वाले कण खासी दूरी पर पानी में एक दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं.
इसके लिए नकारात्मक आवेश के कण आपस में छोटे से षटकोण के आकार का समूह भी बना लेते हैं. मजेदार बात यह है कि ऐसा इन्हीं हालात में सकारात्मक आवेश के कणों के साथ देखने को नहीं मिला है. वहीं जब घोल को पानी की जगह एल्कोहल से बदला या तो सकारात्मक आवेशित कणों से ऐसे समूह बनाए लेकिन नकारात्मक कणों ने नहीं.
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यह अप्रत्याशित बर्ताव वर्तमान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिद्धांत के नियम का विरोधाभास दिखा रहा है. टीम ने अपने अध्ययन में ब्राइट माइक्रोस्कोपी का अध्ययन किया. और बारीकी से सिलिका के सूक्ष्म कणों का अवलोकन पहले पानी में और फिर एल्कोहल घोलों में किया.
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FIRST PUBLISHED : March 3, 2024, 20:45 IST