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सिगरेट वाले बाबा के पास मशहूर होने के लिए अर्जी लगवा रहे प्रेमी जोड़े, फिर चर्चा में है ये मजार

अंजलि सिंह राजपूत/लखनऊ. पिछले एक महीने से सोशल मीडिया समेत देशभर में एसडीएम ज्योति मौर्य, मनीष दुबे, सचिन-सीमा हैदर और अब पाकिस्तान गई अंजू नसरुल्लाह की लव स्टोरी खूब चर्चित है. इन लोगों की प्रेम कहानियां देखकर लखनऊ के लोगों पर भी इस कदर फितूर चढ़ा कि मशहूर कप्तान साहब की मजार पर हुजूम उमड़ पड़ा. शादीशुदा लोगों से लेकर प्रेमी जोड़े तक यहां पहुंच रहे हैं.

इस मजार की मान्यता यह है कि यहां सिर्फ एक सिगरेट चढ़ाने से जिनकी जोड़ी नहीं बनी है, उनकी जोड़ी बन जाती है. वहीं जिनकी शादी हो गई है, उनकी जोड़ी अमर हो जाती है. यही नहीं, कुछ प्रेमी जोड़े यहां पहुंचकर यहां के सेवक मिश्रीलाल को पैसे देकर यह अर्जी लगवा रहे हैं कि उनकी जोड़ी भी सीमा-सचिन, अंजू-नसरुल्लाह और ज्योति मौर्य-मनीष दुबे की तरह चर्चित हो जाए. हालांकि, सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है, लेकिन यह सच है.

मन्नतें होती हैं पूरी
यहां के सेवक मिश्रीलाल ने बताया कि कप्तान साहब को सिगरेट वाले बाबा इसलिए कहते हैं, क्योंकि यह बाबा लोगों की जोड़ी बनाने के लिए मशहूर हैं. अगर किसी प्रेमी जोड़े की शादी न हो रही हो या परिवार न मान रहा हो तो यहां पर आकर मत्था टेकने से उनकी जोड़ी बन जाती है. वह कहते हैं कि कई लोग उनके पास आकर पैसे देते हैं और कहते हैं कि अर्जी लगा दीजिए ताकि उनकी जोड़ी मशहूर हो जाए.

सिगरेट, शराब और चढ़ता है मांस
सेवक मिश्रीलाल ने बताया कि सिगरेट वाले बाबा को अगर यहां आकर प्रेमी जोड़े एक सिगरेट या शराब या फिर मांस चढ़ा दें तो वह प्रसन्न हो जाते हैं. वह कहते हैं कि उन्होंने अपने सामने कई ऐसे प्रेमी जोड़ों को देखा है जो पहले यहां प्रेमी जोड़े बनकर आते थे फिर छह महीने के अंदर ही शादीशुदा होकर आने लगे. मत्था टेकते हैं और उनको धन्यवाद देते हैं.

कौन है सिगरेट वाले बाबा
इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि कैप्टन फ्रेड्रिक वेल्स ब्रिटिश सेना में कैप्टन थे. 21 मार्च 1858 को मूसा बाग में अंग्रेजों और अवध के स्वतंत्रता सेनानियों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें ब्रिटिश सैनिकों ने जीत तो ज़रूर हासि‍ल की, लेकि‍न कैप्टन वेल्स की मौत हो गई. बाद में उनकी वहीं पर कब्र बनवाई गई. इस मजार के ऊपर एक पत्थर भी लगा हुआ है, जिस पर कैप्टन का नाम और उनकी मौत की तारीख लिखी है. यानी ब्रिटिश सेना के कप्तान की इस मज़ार के आगे हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग मुराद मांगते हैं. चूंकि कैप्टन वेल्स सिगरेट का बहुत शौकीन था, यही वजह है कि यहां सिगरेट चढ़ाई जाती है.

ऐसे पहुंचे यहां
यहां जाने के लिए आपको लखनऊ के बालागंज चौराहे से हरिनगर चौराहा आना होगा. इसके बाद मूसा बाग पैलेस पहुंचते ही दो रास्ते नज़र आएंगे. एक मूसा बाग पैलेस के अंदर से होकर गया है, जबकि दूसरा पीछे एक दरगाह की तरफ से. वहीं पर है यह मजार.

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