यह है बिहार का आदर्श गांव…45 सालों से एक भी मामला नहीं पहुंचा थाने, 85% लोग हैं शिक्षित

मो.महमूद आलम/नालंदा : नालंदा का एक ऐसा आदर्श गांव है जहां सिर्फ खूबी ही खूबी है. यहां न शराब बनती थी और न लोग पीते हैं. आज तक एक भी मामला इस गांव से थाना पहुंचा है. न ही इस गांव में पंच और वार्ड सदस्य के चुनाव खड़े होते हैं वह निर्विरोध होते हैं. वो भी ग्रामीणों की स्वेच्छा से. यह गांव जिला मुख्यालय से 20 किमी. दूर स्थित चंडी प्रखंड का ढकनिया गांव है. यह गांव गंगौरा पंचायत का वार्ड संख्या 02 है. इस गांव में डेढ़ से दो सौ घर की आबादी है. जो 5000 वर्ग फुट में है. इस गांव की खासियत यह है कि व्यक्ति चाहे किसी भी वर्ग का हो उसे गांव के लोग किसी भी समय हर वक्त खड़े होते हैं और मदद करते हैं.

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40-45 वर्ष पूर्व से यह परंपरा सामाजिक स्तर से हुई थी शुरू

यहां के पर्यावरण विद कहे जाने वाले सुरेंद्र सिंह आज से 40-45 वर्ष पूर्व से यह परंपरा सामाजिक सरोकार से जुड़कर बैठक के बाद कायम की थी. उसके बाद से यह सुचारू ढंग से आज भी जारी है. ढकनिया गांव के ग्रामीणों ने लोकल 18 से बात करते हुए मुकेश सिंह, संतोष कुमार और राजकुमार ने बताया कि यह पुरानी परंपरा है. जिसे आज भी गांव के लोग मानते आ रहे हैं.

ऐसी मान्यता है कि जब से यह परंपरा शुरू हुई तबसे आज तक किसी प्रकार का कोई अनहोनी नहीं हुई है. खुशहाल गांव के रूप में जीवित है. यही नहीं इस गांव में सुरेंद्र सिंह द्वारा 3 एकड़ में लगाई गई एक वाटिका है. जिसका नाम कुंदन वाटिका है. यहां कई प्रकार के औषधीय गुण वाले पौधे व गुणकारी फ़ल एवं सब्ज़ी और मसाले लगे हुए हैं. जिससे यहां के ग्रामीणों को उसका लाभ मिलता है. चाहे वह किसी भी वर्ग समाज के लोग हों. अगर उनको ज़रूरत की चीज़े वहां है तो मदद की जाती है.

अब तक एक भी मामला नहीं पहुंचा थाने

इसके अलावा इस गांव की खासियत यह भी है कि इस गांव से अभी तक एक भी मामला थाने नहीं पहुंचा है, जो वहां रिकॉर्ड दर्ज हो जब से यह गांव बसा है. इसके बाद नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून से पहले से वहां के लोग न शराब पीते थे न ही बनाते हैं. इसके साथ ही गांव में पंच और वार्ड सदस्य का चुनाव निर्विरोध चुने जाते हैं. जितने ग्रामीण हैं उनकी सहमति से हर वर्ग के लोगों को खुद ही मनोनित करते हैं. जो बिहार के आदर्श गांव के रूप में यह गांव है. साथ ही अभी तक इस गांव में एक आंकड़ा के अनुसार 85% लोग शिक्षित हैं और गांव के अलावा दूसरे जगह पर विभाग में कार्यरत हैं.

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