पवन कुमार/रेवाड़ी: हिंदू परंपरा में सभी देवी-देवताओं का विशेष महत्व है. हर देवी-देवता की पूजा का अपना-अपना विधान है. कष्ट निवारण के लिए शनिदेव महाराज की पूजा की जाती है. रेवाड़ी शहर के बाला सराय मोहल्ला स्थित शनिदेव धाम रेवाड़ी का प्राचीन मंदिर है. बताते हैं कि करीब 250 साल पहले मराठों के राज से पहले मंदिर की स्थापना की गई थी.

हरियाणा में रेवाड़ी और हिसार में ही शनिदेव के दो सबसे पुराने और बड़े मंदिर हैं, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. मंदिर कमेटी के संचालकों का कहना है कि जब मराठों का राज था, तब राजा की सेना यहां से निकल रही थी. जिस सेना को शनिदेव की शक्ति ने यहां रोक दिया था, जिसके बाद शनिदेव के दर्शन करने के बाद ही वह सेना आगे बढ़ पाई थी.

चोर नहीं कर पाते चोरी
कहा ये भी जाता है कि शनिदेव की शक्ति का असर इतना रहा है कि चोर मंदिर से चोरी नहीं कर पाए. कई बार आपने सुना होगा कि मंदिर से चोर सामान चुरा ले गए लेकिन इस मंदिर में आज तक चोर चोरी नहीं कर पाए. हालांकि, चोरों ने चोरी का प्रयास कई बार किया था, लेकिन मंदिर कमेटी के सदस्य बताते हैं कि शनिदेव के चमत्कार के कारण चोर अंधे हो जाते हैं या बाबा की शक्ति के सामने सामान छोड़कर भाग जाते हैं.

शनि धाम में लोगों की बड़ी आस्था
रेवाड़ी शहर के धारूहेड़ा चुंगी स्थित बाला सराय मोहल्ले में बने शनि धाम की लोगों में गहरी आस्था है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. शनिदेव की पूजा करने का भी अलग तरीका होता है. कहते हैं कि शनिदेव की मूर्ति की आंखों में नहीं देखना चाहिए. मूर्ति की सामने से पूजा न करके साइड से पूजा करनी चाहिए. शनिदेव की पूजा करने के बाद शिव शंकर और हनुमानजी की पूजा अर्चना ज़रूर करनी चाहिए, तभी शनिदेव की पूजा सफल मानी जाती है.

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