ना मवेशियों का डर और न ही ज्यादा पानी की जरूरत, रेगिस्तान में भी हो सकती है इसकी खेती, होगी मोटी कमाई!

कृष्ण कुमार/नागौर. अगर कोई आपसे कहे कि एक ऐसी खेती है जिसमें न ज्यादा पानी की जरुरत होती है,ना ही ज्यादा सुरक्षा की. फिर भी यह खेती करके आप लाखों की आय प्राप्त कर सकते हैं तो यह मानना हर किसी के लिए संभव नहीं होगा. लेकिन आज हम रेगिस्तान में होने वाली ऐसी ही खेती के बारे में बताने जा रहे है. दरअसल यह खेती एलोवीरा (ग्वारपाठा) की खेती है. जिसमें कम पानी व कम देखभाल की आवश्यकता होती है. यदि किसी किसान के खेत खाली पड़ा है या सुरक्षा नहीं हो रही है तो आप एलोवीरा की खेती कर सकते हैं.

आज इसी किसान से रुबरु करवाने जा रहे हैं. जिसने एलोवीरा की खेती की और आज आराम से सालाना 50 हजार रुपये बीघा कमा रहा है. दरअसल काठिया गांव के रहने वाले किसान बलवीर सारण ने धोरों के बीच में बसे खेत में कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर ग्वारपाठा( एलोवीरा) की खेती की है. जो पूर्ण रुप से खेती रेगिस्तान में सक्षम हुई है. किसान बताते है कि उन्होंने 2018 में इस खेती की शुरुआत की .

कैसे करे खेती और कौनसा बीज ले काम
किसान ने बताया कि लाइनिंग पद्धति यानि कि जिस तरह कपास में क्यारी बनाते हो उसी प्रकार से एलोवीरा की खेती में लाइन सीधी बनाकर खेती करनी चाहिए. जिसमें दूरी 2 से 3 फीट व पौधे से पौधे की दूरी 1 से 2 फीट का अंतर होना चाहिए. यदि आप नागौर की भूमि पर खेती कर रहे हो खारो एलोवीरा किस्म के बीज का प्रयोग करना चाहिए. क्योंकि यहां पर ज्यादातर खारा पानी ही निकलता है. किसान ने बताया कि खेती की शुरुआत 2018 में की थी. जिसके बाद खेती में आयधन में वृद्धि हुई और यह खेत खाली पड़ा था जहां पर ग्वारपाठा(एलोवीरा) की खेती सक्षम हुई. दूसरी इस खेती की खास बात है कि इस खेती में इतनी सुरक्षा नहीं करनी पड़ती है क्योंकि पशुओं द्वारा इस एलोवीरा को खाया नहीं जा सकता ना ही किसी तरीके की हानि होती है.

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FIRST PUBLISHED : July 02, 2023, 15:13 IST

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