World’s ‘oldest’ woman died: दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला मानी जाने वाले कोकू इस्तांबुलोवा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. उन्होंने 129 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. सीने में दर्द के कारण उनकी मौत हुई. रूस में स्वीकृत पेंशन रिकॉर्ड के अनुसार, स्टालिन के दमन से बची कोकू इस्तांबुलोवा जून में 130 साल की हो गई होंगी. उनके नाम दुनिया की सबसे अधिक उम्रदराज महिला होने का रूसी बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का खिताब था.
मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का मानना है कि कथित तौर पर 128 की आयु में उनकी मृत्यु हो गई. उन्होंने इतने लंबे जीवन में हर दिन घुट घुट कर बिताया. यह बात खुद कोकू इस्तांबुलोवा ने भी स्वीकार की थी. उन्होंने एक बार यह कह कर सुर्खियां बटोरीं थीं कि उन्होंने अपने लंबे जीवन में कभी भी एक भी खुशी का दिन नहीं बिताया. कोकू के पोते इलियास अबुबकारोव ने उनकी मौत होने की पुष्टि की.
‘बचाने में असफल रहे डॉक्टर’
इलियास ने कहा कि जिस दिन उनकी मृत्यु हुई उस दिन उन्होंने हमेशा की तरह चेचन्या में अपने गांव के घर पर रात का खाना खाया. इस दौरान इलियास अपनी दादी कोकू को याद कर काफी भावुक दिखे और उनकी आंखों में आंसू थे. इलियास ने बताया, ‘वह मजाक कर रही थी, वह बात कर रही थी. फिर वह अचानक अस्वस्थ महसूस करने लगी. उसने सीने में दर्द की शिकायत की. हमने डॉक्टर को बुलाया. हमें बताया गया कि उसका ब्लड प्रेशर कम हो गया है, और इंजेक्शन लगाए गए हैं. लेकिन वे उसे बचाने में असफल रहे. वह शांत तरीके से, पूरी तरह से होश में, प्रार्थना करते हुए मर गईं.’
A Russian woman believed to be the world’s oldest person, Koku Istambulova, celebrated her ‘129th birthday, wishes she had died young as she outlasted all of her children. @Gidi_Traffic pic.twitter.com/s1gXQPkwPw
— PlentyGists ™ (@Plentygist) June 5, 2018
ब्रैटस्को गांव में किया गया दफन
कोकू को उनके गृह गांव ब्रैटस्को में दफनाया गया है. उनके पांच पोते-पोतियां और 16 परपोते-पोतियां बचे हैं. एक मुस्लिम जिसका जन्म अंतिम जार निकोलस द्वितीय के राज्याभिषेक से पहले हुआ था, उसके आंतरिक रूसी पासपोर्ट के अनुसार, वह सोवियत संघ में एक पीढ़ी तक जीवित रही. उनकी जन्मतिथि 1 जून 1889 होने का दावा किया गया था, जब महारानी विक्टोरिया ब्रिटेन में सिंहासन पर थीं.
हालांकि, कोकू के पासपोर्ट में उनके जन्म का केवल एक साल लिखा था, सही दिन और महीना नहीं. पिछले साल उन्होंने भावनात्मक रूप से उस भयावह दिन के बारे में बात की थी, जब उनके मूल के चेचन लोगों को 75 साल पहले स्टालिन ने सामूहिक रूप से कजाकिस्तान के स्टेपीज में निर्वासित कर दिया था.
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FIRST PUBLISHED : September 15, 2023, 16:27 IST