हम सबने भारतीय रेलवे से यात्रा की है, लेकिन बहुत सारी जानकारी ऐसी है, जिनके बारे में हमें पता नहीं होता. और जब हमारे अधिकारों के बारे में पता चलता है तो हम हैरान रह जाते हैं. ऐसा ही एक सवाल ऑनलाइन प्लेटफार्म कोरा पर पूछा गया. सवाल था कि क्या सिर्फ एक पैसेंजर को लेकर ट्रेन चलाई जा सकती है? यूजर्स ने अपने अपने तरीके से जवाब दिए. लेकिन एक ने पुरानी घटना का जिक्र करते हुए इसे अच्छे से समझाया.
वैसे तो सामान्य श्रेणी के कोच में 250-300 यात्री बैठ सकते हैं. प्रीमियम ट्रेनों जैसे राजधानी, शताब्दी आदि में आम तौर पर प्रति कोच लगभग 72 सीटें होती हैं. स्लीपर क्लास कोचों में भी लगभग 72 सीटें हो सकती हैं. लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि ट्रेन सिर्फ एक पैसेंजर को लेकर गई. घटना सितंबर 2020 की है. एक युवती की जिद के आगे रेलवे (Indian Railways) को झुकना पड़ा और इकलौती सवारी के लिए राजधानी एक्सप्रेस (Rajdhani Express) ट्रेन चलानी पड़ी. यह लड़की 535 किलोमीटर का सफर तय कर रात एक बजकर 45 मिनट पर रांची पहुंची.
जिद के आगे अधिकारियों को झुकना पड़ा
रांची की ओर जा रही राजधानी एक्सप्रेस को ‘टाना भगतों’ के आंदोलन के कारण डाल्टनगंज रेलवे स्टेशन पर रोक देना पड़ा. यहां से रांची की दूरी 308 किलोमीटर थी. ट्रेन में 930 यात्री सवार थे. रेलवे ने बसों का इंतजाम कर 929 यात्रियों को रांची भिजवाया. लेकिन अनन्या चौधरी नाम की एक महिला यात्री ने बस से जाने से इनकार कर दिया. अधिकारियों ने बहुत मनाया लेकिन वह नहीं मानी. कहा, जाऊंगी तो राजधानी एक्सप्रेस से ही. यदि बस से जाना होता तो ट्रेन का टिकट क्यों लेती. अंत में उसकी जिद के आगे अधिकारियों को भी झुकना पड़ा.
क्या कहता है रेलवे का कानून
बाद में ट्रैक जब खाली हुआ तो रांची के लिए ट्रेन को हरी झंडी दे दी गई. ऐसे में सिर्फ एक पैसेंजर को लेकर ट्रेन चलाई गई. रेलवे के कानून के मुताबिक, अगर यात्री चाहें कि उन्हें उसी ट्रेन से यात्रा करनी है तो रेलवे को उनकी बात माननी होगी. हालांकि, ज्यादातर मौकों पर ऐसी स्थिति नहीं आती और लोग मान लेते हैं. रेलवे के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ था जब एक सवारी को छोड़ने के लिए राजधानी एक्सप्रेस ने 535 किलोमीटर की दूरी तय की.
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FIRST PUBLISHED : October 12, 2023, 19:35 IST