एक हैरान कर देने वाली पड़ताल में वैज्ञानिकों को पृथ्वी की सतह के बहुत ही नीचे पानी का एक भंडार मिला है, जो पृथ्वी के सभी महासागरों के आकार का तीन गुना है. यह भूमिगत जल भंड़रा हमारे सतह के लगभग 700 किमी नीचे मौजूद है जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं थी. इस अध्ययन में इस धारणा को चुनौती मिली है कि पृथ्वी पर पानी उल्कापिंडों या धूमकेतुओं से आया था. अध्ययन बताता कि पृथ्वी के महासागर उसके क्रोड़ से ही निकले थे.
दरअसल इवान्स्टन, इलिनोइस में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक पृथ्वी के पानी की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन इस खोज ने शोधकर्ताओं को एक अप्रत्याशित विशाल खोज की ओर धकेल दिया और उन्हें सतह से 700 किलोमीटर नीचे, पृथ्वी के आवरण के भीतर एक विशाल महासागर मिल गया. रिंगवुडाइट के नाम से जानी जाने वाली नीली चट्टान के भीतर छिपा हुआ यह महासागर, हमारी समझ को चुनौती देता है कि पृथ्वी का पानी कहां से आया.
इस भूमिगत समुद्र का आकार ग्रह के सभी सतही महासागरों का तीन गुना है. यह नई खोज पृथ्वी के जल चक्र के बारे में एक नया सिद्धांत भी प्रस्तावित करती है. शोध बताता है कि पृथ्वी पर पानी धूमकेतु के प्रभाव के माध्यम से नहीं पहुंचा होगा. बल्कि जैसा कि कुछ सिद्धांतों ने बताया है, पृथ्वी के महासागर धीरे-धीरे इसके क्रोड़ से ही बाहर निकल कर अस्तित्व में आए होंगे.
यह पहली बार है जब पृथ्वी की सतह के इतनी नीचे पानी के संकेत मिले हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
इस भूमिगत महासागर को उजागर करने के लिए, शोधकर्ताओं ने संयुक्त राज्य भर में 2000 भूकंपमापी यंत्रों की एक शृंखला का उपयोग किया, जिसमें 500 से अधिक भूकंपों से भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया गया. पृथ्वी की कोर सहित उसकी आंतरिक परतों से होकर गुजरने वाली तरंगें गीली चट्टानों से गुजरते समय धीमी हो जाती हैं, जिससे वैज्ञानिकों को इस विशाल जल भंडार की उपस्थिति का अनुमान लगाने में मदद मिलती है.
यह भी पढ़ें: मंगल की नई खोज ने मचाई सनसनी, छिपा है एवरेस्ट से भी बड़ा ज्वालामुखी, पानी की खोज करने में मिलेगी मदद
अब, इस क्रांतिकारी खोज के साथ, शोधकर्ता यह निर्धारित करने के लिए दुनिया भर से अधिक भूकंपीय डेटा इकट्ठा करना चाहते हैं कि क्या इस तरह से मेंटल का पिघलना एक सामान्य घटना है? उनके निष्कर्ष पृथ्वी पर जल चक्र के बारे में हमारी समझ में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं, जो हमारे ग्रह की सबसे मौलिक प्रक्रियाओं में से एक को नया नजरिया प्रदान करते हैं.
.
Tags: Ajab Gajab news, Bizarre news, OMG News, Weird news
FIRST PUBLISHED : April 2, 2024, 20:06 IST